Friday, September 16, 2011

कुछ पुस्तके सुमति जी के कलेक्शन में से...

१. १९७८ की श्रेष्ठ कहानियां--सम्पादक डा. महीप सिंह
२. राग परिचय,भाग३---हरिश्चद्र श्रीवास्तव
३ नीत्शे--जरथुष्ट्र ने कहा था---प्रस्तुति मुद्राराक्षस
४. पिता और पुत्र---इवान तुर्गेनेव
५. कविता नहीं है यह---अनिल जनविजय
६. प्रश्न और प्रश्न---[ललित निबन्ध]--जैनेन्द्र
७. बत्तीसवीं तारीख--हबीब कैफ़ी
८. तब भी यह देश चल रहा है---अजातशत्रु
९. आधुनिक हिन्दी भाषा और साहित्य--- प्रभाकर माचवे
१०. स्त्री उपेक्षिता--सीमोन द बौउवार
११. कविता का व्योम और व्योम की कविता--- मदन सोनी
१२. गीत गंगा---सं. गीता चौहान
१३. बयान--श्रीमती कमल कुमार
१४. आधुनिक भव बोध की संग्या---अम्रित राय
१५. निठल्ले की डायरी---हरिशंकर परसाई
१६. अधखिला गुलाब---ग्यान प्रकाश पाठक
१७. पूर्व वेला--इवान तुर्ग्नेव
१८. ग्राम सेवक---विश्वेश्वर
१९. अनायक---हबीब कैफ़ी
२०.भर्तहरि शत्कम---स्वामी जग्दीश्वरानन्द सरस्वती
२१. हिन्दी भाषा का इतिहास-- धीरेन्द्र वर्मा
२२. भाषा विग्यान-- डा. भोलानाथ तिवारी
२३. भारतीय नाट्य परम्परा-नेमिचन्द्र जैन
२४. आ नन्द तेरी हार है--वीरेन्द्र आस्तिक
२५. असली इन्सान--बोरीस पोलेवाई
२६. चाबी का गुड्डा-- उषा देवी विजय कोल्हट्कर
२७. भारतीय संस्क्रिति की पावन गंगा---डा.निजामुद्दीन
२८. बघेलखंड के लोकगीत---लखन प्रताप सिंह
२९. कुमार गंधर्व-- सं अशोक बाजपेयी
३०. भारतीय सौन्दर्य्शास्त्र की भूमिका-- डा.नगेन्द्र
३१. मेघदूतम---व्याख्याकार-- आचार्य श्री शेषराज शर्मा रेग्मी
३२. भार्तीय रंग्मंच--आद्य रंगाचार्य
३३. संगीत बोध-- डा> शरच्चन्द्र श्री धर परांजपे
३४. भारत भवन ,कलाओं का घर-- ध्रुव शुक्ला
३५. समय की शिला पर--- फ़णीश्वर नाथ रेणु
३६.भारतेन्दु समग्र
३७. सोबती एक सोहबत-- क्रिष्णा सोवती
३८. छायावाद की काव्य साधना-- प्रोफ़ेसर क्षेम
३९. आदिकाल की भूमिका-- पुरुषोत्तम प्रसाद असोपा
४०. साहित्य चिंता-- डा. देवराज
४१. तीसरी सत्ता---गिरिराज किशोर
४२. पालि साहित्य का इतिहास---डा. राज किशोर सिंह
४३. कुमार सम्भव-- व्याख्याकार प्रद्युमन पांडे
४४. आधुनिक साहित्य और कला---महेन्द्र भटनागर
४५. आचार्य शुक्ल सन्दर्भ और द्रिष्टि---डां जग्दीश नारायण ’पकंज’
४६. सूर संचयन-- डां मुंशीराम शर्मा
४७. मैथिली नाटक और रंगमंच-- डां प्रेमशंकर सिंह
४८. भारतीय संस्क्रिति-- बाबू गुलाब राय
४९. इस यात्रा में---लीलाधर जगूड़ी
५०. मछलीघर--- विजय देव नारायण साही


ये सारी पुस्तके कल ’अनुराग ट्रस्ट’ के पुस्तकालय को पहुंचा आये.सुमति जी को अच्छा लगेगा अपनी पुस्तकें सुधि पाठकों के हाथों में देख कर.